हे प्रभु, अब आप ही कुछ करो,
असह्य हो चूका है अन्धकार
असह्य हो गया है निर्दयता
असह्य हो चूका है यह व्यवस्था
जहाँ समाज की मंगल मय
सुख व्यवस्था की कल्पना और आधार देने वाले
अब व्यस्त हो चुके हैं अपने निजी सुख और कल्याण में
यह हमारे पुराने बुरे कर्म होंगे जो हमें बार बार अन्धकार मय
भविष्य में धकेल रहा है
पर कितने पुराने कर्मों का अब जिम्मेवारी लें
क्योँ यह आपकी ऐसी माया
जिसमे जो भला कर सकते हैं वह न करके भी धन और संपत्ति का सुख भोग रहे हैं
और जिन्हें वह आश्वसान देतें हैं और जिनकी प्रण सपथ ले कर यह राज करते हैं
वह लाचार मूक हो कर दरद्रिता का भयानक नृत्य देख रहे हैं
तुमने कहा था सच्ची और निस्वार्थ रूप की आराधना तुम सुनोगे
एवं प्रत्यक्ष रूप से इसका निष्कर्ष निकालोगे
दिखाओगे की तुम महान और अपरम्पार हो
आराधना करने का दिन बीत चूका,
अब तो यह एक मांग है
जो तुम्हे पूरा करना पड़ेगा
सच्चाई की आबरू बचाने के लिए
कुछ घनघोर आहत दो, कुछ दर्दनाक चोट दो
कुछ तबाही ऐसी करो
हीला दो इनकी व्यवस्था और इनका साम्राज्य
कुछ लुट जायें और बर्बाद हो जायें
कुछ अब भयंकर तांडव के दृष्टा बनें
ऐसा की मजबूर हो जायें वह सही मार्ग पर आने के लिए
डरा दो इन्हें - हिला दो इनकी झूठी शक्ति
झूका दो इनका झूठा अभिमान
लेकिन नए रास्ते पर इन्ही के हाथों इनका धन और साम्राज्य लूटाना
सुनोगे तुम नहीं तो फिर किस विश्वास से तुम्हारे पास आयेंगे!
यह जान लो की लड़ाई अब तुम्हारे और इनके बीच की है
हमें यह मात्र देखना है की अपाराम्पार कौन है!
I can feel the pain in the prayer...this is how each & everyone in this country feels...but how many pray with so much passion to God? Many have taken it in their karma to suffer & at times i wonder have people actually started enjoying the darkness?
ReplyDeleteMaybe if everyone prays so hard & questions God...it is like mass "jaap" then God has to listen. But..NO...our people do not want to move out of comfort zone. so it shall be.
There is so much frustration and pain in this prayer ...let us not forget that HE is the potter and we are the clay.We suffer because we have become very self centered.Let there be unity in our thoughts, prayers and deeds.There are times when our wants directly conflict with God's plans. Therefore not all prayer aligns with God's will. We, of course, being the stiff-necked people that we are, resist submission to God's will. So our prayers are often self-centered, self-serving, and completely in defiance to God's plans and purposes.
ReplyDeleteWhen you find yourself in a battle, regardless of whether you want it or not, don't forget that God promises us the victory. Have faith and endurance.Love is the only true prayer that God expects from us.